Khud Hi Nazron Se Utar Jayegi

Khud Hi Nazron Se Utar Jayegi


खुद ही नज़रों से अपनी उतर जायेगे

हदें तहज़ीब से जब गुजर जायेगे

बिखरी हुई जुल्फे देख कर

मुसाफिर भी ठहर जायेगे


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